राजभाषा हिंदी का क्रमिक विकास | Rajbhasha Hindi Ka Kramik Vikas | Rajbhasha Kya Hai
राजभाषा हिंदी का क्रमिक विकास| Rajbhasha Hindi Ka Kramik Vikas | Rajbhasha Kya Hai
राजभाषा से तात्पर्य
सबसे पहले हम देखेंगे कि केंद्र सरकार के कार्यालय कौन-कौन से कार्यालय कहलाते हैं, जिनकी राजभाषा हिंदी है ।
केंद्रीय सरकार के कार्यालय से क्या तात्पर्य है
(i) केंद्रीय सरकार का कोई मंत्रालय,
विभाग या कार्यालय;
(ii)
केंद्रीय सरकार
द्वारा नियुक्त किसी आयोग, समिति या अधिकरण का
कोई कार्यालय;
(iii)
केंद्रीय सरकार
के स्वामित्व में या नियंत्रण के अधीन किसी निगम या कंपनी का कोई कार्यालय ।
हम पारिभाषिक शब्दावली को समझने का प्रयास करेंगे ।
पारिभाषिक शब्दावली
पारिभाषिक
शब्द या तकनीकी शब्द या पर्याय की पहचान, विशेषता या परिभाषा यह है कि एक शब्द या पर्याय के बदले अन्य का प्रयोग
संभव ही न हो ।
1949 से 2024 तक राजभाषा हिंदी का क्रमिक विकास
14 सितंबर, 1949 को संविधान सभा द्वारा हिंदी को राजभाषा बनाने
का निर्णय लिया गया ।
26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू हुआ। तदनुसार उसमें किए गए भाषाई प्रावधान
(अनुच्छेद 120, 210 तथा 343 से 351) लागू हुए।
1952 - तत्कालीन शिक्षा मंत्रालय के तहत हिंदी शिक्षण
योजना का प्रारंभ।
जुलाई, 1952 - हिंदी शिक्षण
योजना के अतंर्गत प्रशिक्षण आरंभ। 1955 में यह योजना गृह
मंत्रालय को सौंपी गयी।
1953 से 14 सितंबर को ‘हिंदी दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया ।
07 जून, 1955 - बी. जी. खेर की अध्यक्षता में राजभाषा आयोग का गठन किया
गया। (संविधान के अनुच्छेद 344
(1) के अंतर्गत)
31 जुलाई, 1956 - खेर आयोग ने अपना प्रतिवेदन राष्ट्रपति को प्रस्तुत किया।
सितंबर, 1957 - खेर आयोग की सिफारिशों पर विचार करने के लिए संसदीय
समिति का गठन। (तत्कालीन गृह
मंत्री श्री गोविंद बल्लभ पंत की अध्यक्षता में)
8 फरवरी, 1959 - संविधान के अनुच्छेद 344 (1) के अन्तर्गत संसदीय समिति द्वारा
राष्ट्रपति को अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत।
27 अप्रैल, 1960 - संसदीय समिति के प्रतिवेदन पर राष्ट्रपति जी के
आदेश। संसदीय समिति की रिपोर्ट पर राष्ट्रपति के आदेश जारी किए गए जिनमें हिंदी
शब्दावलियों का निर्माण, संहिताओं व कार्यविधिक साहित्य का हिंदी
अनुवाद, कर्मचारियों को हिंदी का प्रशिक्षण, हिंदी प्रचार, विधेयकों की भाषा, उच्चतम न्यायालय व उच्च न्यायालयों की भाषा आदि मुद्दे शामिल हैं।
1960 - हिंदी टंकण, हिंदी आशुलिपि प्रशिक्षण आरंभ। 1974 से उपक्रमों के लिए भी
प्रशिक्षण अनिवार्य।
1960 - शिक्षा मंत्रालय के
अंतर्गत केंद्रीय हिंदी निदेशालय का गठन।
1960 - वैज्ञानिक
और तकनीकी शब्दावली आयोग का गठन ।
10 मई, 1963 - संविधान के अनुच्छेद 343 (3) के प्रावधान को ध्यान
में रखते हुए राजभाषा अधिनियम, 1963 बनाया गया। इसके अनुसार हिंदी संघ
की राजभाषा व अंग्रेजी सह-राजभाषा के रूप में
प्रयोग में लाई जाती रहेगी।
1967 - प्रधान मंत्री की अध्यक्षता में केन्द्रीय हिंदी
समिति का गठन किया गया। यह समिति सरकार की राजभाषा नीति के सम्बन्ध में
महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश देने वाली सर्वोच्च समिति है।
इस समिति में प्रधानमंत्री जी के अलावा नामित केन्द्रीय मंत्री, कुछ राज्यों के मुख्यमंत्री, सांसद तथा हिंदी एवं
अन्य भारतीय भाषाओं के विद्वान सदस्य के रूप में शामिल किए जाते रहे हैं।
1968 - संसद के दोनों सदनों
द्वारा राजभाषा संकल्प पारित किया गया जिसमें हिंदी
के राजकीय प्रयोजनों हेतु उत्तरोत्तर प्रयोग के लिए अधिक गहन और व्यापक कार्यक्रम
तैयार करने, प्रगति की समीक्षा के लिए वार्षिक मूल्यांकन
रिपोर्ट तैयार करने, हिंदी के साथ-साथ 8वीं अनुसूची की अन्य भाषाओं के समन्वित विकास के लिए कार्यक्रम तैयार करने,
त्रिभाषा सूत्र अपनाये जाने, संघ सेवाओं के
लिए भर्ती के समय हिंदी व अंग्रेजी में से किसी एक के ज्ञान की आवश्यकता अपेक्षित
होने तथा संघ लोक सेवा आयोग द्वारा उचित समय पर परीक्षा के लिए संविधान की 8वीं अनुसूची में सम्मिलित सभी भाषाओं तथा अंग्रेजी को वैकल्पिक माध्यम के
रूप में रखने की बात कही गई है। (संकल्प 18.1.1968 को अधिसूचित हुआ)
01 मार्च 1971 - केंद्रीय
अनुवाद ब्यूरो की स्थापना।
केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों, विभागों, कार्यालयों तथा उपक्रमों, बैंकों आदि के मैनुअलों, कोडों, प्रपत्रों तथा अन्य विविध असांविधिक साहित्य के
अनुवाद के लिए गृह मंत्रालय के अधीन केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो की स्थापना 1 मार्च,
1971 को की गई। तब से केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो लगातार यह कार्य कर
रहा है।
उपर्युक्त सामग्री के साथ-साथ केंद्र सरकार द्वारा गठित सरकारिया आयोग, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग, राष्ट्रीय अनुसूचित
जाति/जनजाति आयोग, पांचवां वेतन आयोग, जैन
आयोग आदि विभिन्न आयोगों की रिपोटों का अनुवाद कार्य भी ब्यूरो को सौंपा गया।
1975 - राजभाषा विभाग
की स्थापना।
1976 - संसदीय राजभाषा समिति का गठन राजभाषा अधिनियम 1963, की धारा 4(1)
के तहत वर्ष 1976 में किया गया था। यह एक
उच्चाधिकार प्राप्त संसदीय समिति है। इसमें 20 सदस्य लोकसभा
तथा 10 सदस्य राज्यसभा से होते हैं। माननीय गृह मंत्री जी इस
समिति के अध्यक्ष हैं।
1976 - राजभाषा (संघ के
शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग) नियम, 1976 बनाए
गए (बाद में इन नियमों में 1987, 2007 तथा 2011
में संशोधन किए गए)
1977 - श्री अटल बिहारी वाजपेयी,
तत्कालीन विदेश मंत्री ने पहली बार संयुक्त
राष्ट्र की आम सभा को हिंदी में संबोधित किया।
09 सितंबर, 1981 - केंद्रीय
सचिवालय राजभाषा सेवा संवर्ग का गठन।
विभिन्न मंत्रालयों/विभागों और संबद्ध कार्यालयों में सृजित हिंदी
पदों को एकीकृत संवर्ग में लाने तथा उनके पदाधिकारियों को समान सेवा शर्तें, वेतनमान और पदोन्नति के अवसर प्रदान करने हेतु केंद्रीय सचिवालय राजभाषा
सेवा का गठन वर्ष 1981 में केंद्रीय हिंदी समिति द्वारा वर्ष
1976 में लिए गए निर्णय के परिणामस्वरूप किया गया था।
राजभाषा विभाग इसका संवर्ग नियंत्रण प्राधिकारी है। इस समय इस संवर्ग में 1020
स्वीकृत पद हैं।
1985 - केंद्रीय हिंदी प्रशिक्षण संस्थान का
गठन।
राजभाषा विभाग के अंतर्गत केंद्रीय हिंदी प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना
दिनांक 31 अगस्त, 1985 को अधिकारियों/कर्मचारियों को हिंदी
भाषा, हिंदी टंकण और हिंदी आशुलिपि के पूर्णकालिक गहन
प्रशिक्षण सुविधा उपलब्ध कराने के लिए की गई।
1990 – केंद्रीय हिंदी प्रशिक्षण संस्थान द्वारा पत्राचार के माध्यम से हिंदी भाषा का प्रशिक्षण आरंभ
किया गया ।
2015 – केंद्रीय हिंदी प्रशिक्षण संस्थान द्वारा हिंदी भाषा का पारंगत प्रशिक्षण कार्यक्रम आरंभ किया गया ।
2018 - राजभाषा विभाग द्वारा अनुवाद टूल कंठस्थ 1.0 का
लोकार्पण कराया गया।
जुलाई, 2020 भारत की नयी शिक्षा नीति लागू की गई। 2020 में मातृभाषाओं और हिंदी
को विशेष महत्व देने की अनुसंशा की गई ।
सितंबर 2020 - 23 सितंबर 2020 को संसद ने
मौजूदा उर्दू और अंग्रेजी के अलावा, केंद्र शासित प्रदेश
जम्मू और कश्मीर में आधिकारिक भाषाओं की सूची में कश्मीरी, डोगरी
और हिंदी को शामिल करने के लिए एक विधेयक पारित किया।
14 सितंबर, 2022 - राजभाषा विभाग द्वारा अनुवाद टूल कंठस्थ 2.0 का लोकार्पण किया गया ।
फरवरी, 2023 - राजभाषा विभाग द्वारा कंठस्थ 2.0 के मोबाइल ऐप का
लोकार्पण किया गया ।
13-14 नवंबर, 2021 - वाराणसी, उत्तर प्रदेश में पहला अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन का आयोजन किया गया ।
14-15 सितंबर, 2022 - सूरत, गुजरात में हिंदी
दिवस एवं दूसरा अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन का आयोजन किया गया ।
14-15 सिंतबर, 2023 - पुणे, महाराष्ट्र में हिंदी
दिवस एवं तीसरा अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन का आयोजन किया गया ।
14-15 सिंतबर, 2024 -भारत मंडपम् नई दिल्ली में हिंदी दिवस एवं चौथा
अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन का आयोजन किया गया।
पिछले 10 वर्षों के दौरान राजभाषा विभाग की विशिष्ट
उपलब्धियाँ और पहल
केंद्रीय हिंदी समिति की बैठक:
माननीय प्रधानमंत्री जी की अध्यक्षता में केंद्रीय
हिंदी समिति का गठन केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों में समन्वय व्यापित करने
के आशय से वर्ष 1967 में हिंदी के व्यापक स्तर पर प्रचार तथा
प्रगामी प्रयोग के लिए किया गया था। यह राजभाषा नीति के संबंध में महत्वपूर्ण
दिशा-निर्देश देने वाली सर्वोच्च समिति है। समिति
का कार्यकाल सामान्यतः तीन वर्ष का होता है। इसकी बैठक वर्ष में एक बार की जानी
अपेक्षित होती है।
वर्तमान समिति का गठन 09 नवंबर, 2021 में किया गया था। समिति में
प्रधानमंत्री जी के अतिरिक्त 09 माननीय केंद्रीय मंत्री (गृह
मंत्री जी उपाध्यक्ष, गृह मंत्रालय में राजभाषा विभाग के
प्रभारी मंत्री-सदस्य), 06 राज्यों के मुख्य मंत्री तथा 04
संसद सदस्य है, कुल मिलाकर 21 (इस्कीस) सदस्य हैं।
अब तक इसकी 31 बैठकें हो चुकी हैं
और 32वीं बैठक की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है। पिछली 31
वीं बैठक 06.09.2018 को हुई थी।
हिंदी सलाहकार समितियों का गठन व उनकी बैठकें:
पिछले वर्षों में 58 मंत्रालयों में
हिंदी सलाहकार समितियों का गठन कराया गया जिनकी बैठकें भी नियमित रूप से आयोजित की
गई हैं। इन समितियों की बैठकों से मंत्रालयों को राजभाषा कार्यान्वयन की गति तीव्र
करने के लिए दिशा-निर्देश मिलते हैं और इनमें वे राजभाषा कार्यान्वयन की समीक्षा भी
करते हैं।
नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति
देश के विभिन्न नगरों में 31 अगस्त, 2024 तक करीब 534 नगर
राजभाषा कार्यान्वयन समितियाँ कार्यरत हैं । भारत के बाहर पांच देशों में भी नगर राजभाषा
कार्यान्वयन समितियों का गठन किया गया है - मॉरीशस (पोर्ट लुई), दुबई, लंदन, फिजी एवं सिंगापुर
में।
अनुवाद सॉफ्टवेयर कंठस्थ-2.0
स्मृति एवं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित अनुवाद सॉफ्टवेयर “कंठस्थ”
को राजभाषा विभाग ने सी-डैक, पुणे की सहायता से
विकसित किया है। इसका लोकार्पण वर्ष 2018 में मॉरीशस में
किया गया था।
इस अनुवाद स्मृति प्रणाली की मुख्य विशेषता यह है कि यह लोकल और
ग्लोबल टीएम की सहायता से किसी नई फाइल का अनुवाद करने में अनुवादक को सहायता
प्रदान करती है।
कंठस्थ के उन्नत संस्करण “कंठस्थ-2.0” का विमोचन हिंदी दिवस के अवसर पर 14 सितंबर, 2022 को माननीय गृह एवं सहकारिता मंत्री जी
के कर कमलों से किया गया।
2019 के बाद राजभाषा विभाग की विशिष्ट उपलब्धियाँ और पहल
हिंदी दिवस एवं अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन
हिंदी के समुचित विकास तथा राजभाषा नीति के अधिक प्रभावी कार्यान्वयन
के लिए हिंदी दिवस एवं अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलनों के आयोजन की एक श्रृंखला
विभाग द्वारा आरंभ की गई है। परंपरागत रूप से हिंदी दिवस (14 सितंबर) का आयोजन दिल्ली में ही किया जाता रहा है।
वर्ष 2022 से हिंदी दिवस और
अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलनों का संयुक्त आयोजन देश के विभिन्न स्थानों पर किया
जा रहा है।
पहला अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलनः
माननीय गृह मंत्री जी के निर्देशन में वर्ष 2021
में पहला अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन 13-14 नवंबर,
2021 को वाराणसी, उत्तर प्रदेश में किया गया
जिसमें देश भर से 2500 से ज्यादा हिंदी सेवियों ने
प्रतिभागिता की। विभिन्न विषयों पर आयोजित सत्र में राजभाषा हिंदी के विकास एवं
प्रचार-प्रसार संबंधी संभावनाओं पर विचार-विमर्श किया गया ।
दूसरा अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन:
माननीय गृह मंत्री जी की अध्यक्षता में पहली बार हिंदी दिवस तथा
द्वितीय अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन का संयुक्त आयोजन 14 व 15 सितंबर, 2022 को गुजरात
राज्य के सूरत शहर के पंडित दीनदयाल उपाध्याय इंडोर स्टेडियम में किया गया। इस
सम्मेलन में पूरे देश से केंद्र सरकार के 10,000 से अधिक
अधिकारियों/कर्मचारियों और हिंदी सेवियों ने प्रतिभागिता की।
तीसरा अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलनः
14 व 15 सितंबर, 2023 को हिंदी दिवस तथा तृतीय अखिल भारतीय राजभाषा
सम्मेलन का संयुक्त आयोजन श्री शिव छत्रपति स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स, बालेवाड़ी, पुणे,
महाराष्ट्र में किया गया। इस सम्मेलन में 8500 से अधिक हिंदी प्रेमी उपस्थित हुए। इन
सभी अवसरों पर राजभाषा कीर्ति एवं राजभाषा गौरव पुरस्कार विजेताओं को पुरस्कृत
किया गया।
चौथा अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलनः
हिंदी दिवस तथा चतुर्थ अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन का संयुक्त आयोजन 14 व 15 सितंबर, 2024 को भारत मंडपम्,
नई दिल्ली में किया गया।
केंद्रीय सचिवालय राजभाषा सेवा संवर्ग सम्मेलन/ तकनीकी
सम्मेलनः
राजभाषा विभाग द्वारा इस दौरान एक नई पहल करते हुए पहली बार केंद्रीय
सचिवालय राजभाषा सेवा संवर्ग सम्मेलन तकनीकी सम्मेलन की शुरूआत की गई। 18 मई, 2022 को माननीय गृह राज्य मंत्री श्री अजय कुमार
मिश्रा जी की अध्यक्षता में पहली बार बड़े पैमाने पर इस विशेष तकनीकी संगोष्ठी का
आयोजन किया गया जिसमें केंद्रीय सचिवालय सेवा के अधिकारियों ने बड़ी संख्या में
भागीदारी की।
विभाग द्वारा दिनांक 06 जून, 2023 को केन्द्रीय सचिवालय राजभाषा सेवा संवर्ग
के अधिकारियों हेतु अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर, जनपथ, नई दिल्ली में द्वितीय तकनीकी सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें केंद्र
सरकार के राजभाषा कार्यान्वयन से जुड़े लगभग 750 अधिकारी/कर्मचारी
सम्मिलित हुए। माननीय गृह राज्य मंत्री, भारत सरकार, श्री अजय कुमार मिश्रा जी की अध्यक्षता में आयोजित इस सम्मेलन में हिंदी
से जुड़े विभिन्न विषयों जैसे कंठस्थ, तिमाही प्रगति रिपोर्ट
आदि पर विस्तृत प्रस्तुतियाँ दी गई और विचार-विमर्श किया गया।
हिंदी के प्रयोग संबंधी आदेशों के संकलन का नवीनतम संस्करण
भारत सरकार के कार्यालयों के लिए जारी किए गए हिंदी के प्रयोग संबंधी
आदेशों के संकलन के नवीनतम संस्करण (जुलाई 2005 से दिसंबर 2021) को तैयार किया गया और इसका विमोचन
माननीय गृह राज्य मंत्री जी के कर कमलों से 18 मई 2022
को नई दिल्ली में तकनीकी सम्मेलन में कराया गया।
राजभाषा हिंदी के प्रयोग संबंधी नियम पुस्तक का नवीनतम
संस्करण (31 जुलाई 2023 तक संशोधित):
राजभाषा हिंदी के प्रयोग संबंधी नियम-पुस्तक के नवीन संस्करण को तैयार
किया गया और इसका भव्य लोकार्पण तृतीय अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन में दिनांक 14-15
सितंबर, 2023 को श्री छत्रपति शिवाजी क्रीडा
संकुल, बालेवाड़ी, पुणे (महाराष्ट्र)
में किया गया।
संसदीय राजभाषा समिति द्वारा अपने प्रतिवेदन के 10वें, 11वें और 12वें खंड को
राष्ट्रपति महोदय को सौंपना।
वर्ष 2019 के बाद की अवधि
में ही समिति ने अपने प्रतिवेदन के 10वें, 11वें और 12वें खंड को राष्ट्रपति महोदय को सौंपे।
वर्ष 2022-23 से
संशोधित राजभाषा गौरव पुरस्कार योजना।
राजभाषा विभाग द्वारा वर्ष 2022-23 से संशोधित “राजभाषा गौरव पुरस्कार योजना” लागू
की गई है। इस योजना के अंतर्गत अब भारत के नागरिकों को निम्नलिखित पुरस्कार दिए
जाएंगे:-
(क) हिंदी
में ज्ञान-विज्ञान संबंधी मौलिक पुस्तक लेखन हेतु राजभाषा गौरव पुरस्कार।
(ख) न्यायालयिक
विज्ञान, पुलिस, अपराध शास्त्र अनुसंधान
और पुलिस प्रशासन पर हिंदी में मौलिक पुस्तक लेखन हेतु राजभाषा गौरव पुरस्कार।
(ग) संस्कृति, धर्म, कला, धरोहर आदि पर हिंदी
में मौलिक पुस्तक लेखन हेतु राजभाषा गौरव पुरस्कार।
(घ) विधि के
क्षेत्र में हिंदी में मौलिक पुस्तक लेखन हेतु राजभाषा गौरव पुरस्कार।
कंठस्थ का ई- ऑफिस के साथ एकीकरण किया गया है ।
हिंदी शब्द सिंधु
माननीय प्रधानमंत्री और माननीय गृह मंत्री जी की आकांक्षाओं को ध्यान
में रखते हुए, राजभाषा विभाग ने एक डिजिटल शब्दकोश का निर्माण किया है।
इसमें स्वास्थ्य, तकनीक, मीडिया, विधि आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों के शब्दों
को शामिल किया गया है। विभिन्न भारतीय भाषाओं के भी प्रचलित शब्दों को समाहित करते
हुए ‘हिंदी शब्द सिंधु’ नामक ‘हिंदी से हिंदी बृहत शब्दकोश’ का निर्माण एक अनूठी
पहल है।
इस डिजीटल शब्दकोश से हिंदी
के तकनीकी सशक्तिकरण का मार्ग प्रशस्त होगा। इसके पहले संस्करण का लोकार्पण गृह
मंत्री जी ने सूरत के अखिल भारतीय सम्मेलन के अवसर पर किया। इसमें अब तक 4 लाख से भी ज्यादा शब्दों को
समाहित किया जा चुका है।
इसमें बोल कर शब्द खोजने की
क्षमता सहित कई आधुनिक फीचर भी उपलब्ध हैं। इसका निरंतर विकास किया जा रहा है।
राजभाषा विभाग
की भावी योजनाएं और नई पहल
भारतीय भाषा अनुभाग
भारतीय भाषा अनुभाग की स्थापना इस विभाग की एक महत्वाकांक्षी परियोजना
है जिसके लिए गृह मंत्री जी ने सैद्धांतिक स्वीकृति 30 जुलाई, 2023 को प्रदान की।
इस अनुभाग की स्थापना किए जाने का प्रयोजन एक ऐसा तंत्र विकसित करना
है जिससे केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच पत्राचार राज्य की प्रथम आधिकारिक
भाषा (Fist Official Language) में भी हो सके।
इसमें संविधान की आठवीं अनुसूची की 15 भारतीय भाषाओं में अनुवाद की सार्वभौमिक व्यवस्था विकसित किए जाने का
प्रस्ताव किया गया है।
निष्कर्ष
इस प्रकार राजभाषा के रूप में 14 सितंबर, 1949 से लेकर अब तक हिंदी ने एक
लंबा सफ़र तय कर लिया है । राजभाषा के रूप में हिंदी निरंतर प्रगति के पथ पर
अग्रसर है । अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी का बढ़ता महत्व इस बात का द्योतक है कि आने
वाला समय हिंदी का होगा और हिंदी सफलता का नया कीर्तिमान रचेगी जिस पर
प्रत्येक हिंदी प्रेमी और हिंदी भाषा-भाषी को गर्व होगा ।
*****
Post a Comment